Apr 17, 2008

तस्वीरों को दिखाकर मत बहलाओ-हिन्दी शायरी

तस्वीरों को दिखाकर मत बहलाओ
जो छिपा रहे हो
पहले वह सच बताओ
आहिस्ता-आहिस्ता अपने शब्दजाल में
लोगों को फंसाने की कोशिश करते हुए
दूसरों की सोच को न भूल जाओ
सामने से सभी तस्वीरें
दिल को छू जातीं है
पर अपने पीछे से
कभी किसी को सूंदर नहीं लगतीं
इसलिये सामने ही लगायी जातीं हैं
शब्दों के अर्थ भी कई होते हैं
तुम खुद हो एक भ्रम में
दूसरों को न उलझाओ

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ऊंची इमारतों, होटलों और पार्कों की तस्वीर
नहीं होती किसी शहर की तकदीर
भूख, गरीबी और बीमारी की
बस्तियां सभी जगह होती हैं
जिन पर टिकी है शहर की चमक
गरीब के अंधेरे भी वहीं होतें
लिखें किसी शहर की तारीफ में जो शब्द
उसमें क्यों नहीं आया किसी गरीब का दर्द
यह तुम्हारी चालाकी है या अनजानापन
तुम्हारी तस्वीर और शब्दों में
कभी पूरी हकीकत बयान नहीं होती है
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Apr 13, 2008

फिर गुरु की भूमिका में आते हैं-कविता

कई बस्तियां बसीं और उजड़ गईं
राजमहल खडे थे जहाँ
अब बकरियों के चरागाह हो गए

सर्वशक्तिमान अपनी कृपा के साथ
कहर का हथियार नहीं रखता अपने साथ
तो कौन मानता उसे
कई जगह उसका भी प्रवेश होता वर्जित
नाम लिया जाता
पर घुसने नहीं दिया जाता
नरक और स्वर्ग के दृश्य यहीं दिखते
फिर कौन ऊपर देख कर डरता
खडे रहते फ़रिश्ते नरक में
शैतानों के महल होते सब जगह
जो अब इतिहास के कूड़ेदान में शामिल हो गए
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चंद किताबों को पढ़कर
सबको वह सुनाते हैं
खुद चलते नहीं जिस रास्ते
वह दूसरे को बताते हैं
उपदेश देते हैं जो शांति और प्रेम का
पहले वह लोगों को लडाते हैं
फिर गुरु की भूमिका में आते हैं
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