tag:blogger.com,1999:blog-8316706252281751743.post1137121453780148978..comments2023-04-03T15:21:35.238+05:30Comments on दीपक भारतदीप की राजलेख-पत्रिका: याद आते हैं शराब के नशे में गुजरे पलदीपक भारतदीपhttp://www.blogger.com/profile/09317489506375497214noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8316706252281751743.post-6715491418379790662007-06-29T21:05:00.000+05:302007-06-29T21:05:00.000+05:30आपकी बात अंत में जरा सपष्ट नहीं हुई। क्या यह सत्य ...आपकी बात अंत में जरा सपष्ट नहीं हुई। क्या यह सत्य घटना है? क्या कहानी में जो 'वह' है वो आप हैं?<BR/><BR/>खैर ये सज्जन जो हैं इनका ब्लॉग शुरु करवा दीजिए, फिर देखिए सब नशे कैसे छूटते हैं। लेकिन हाँ ब्लॉगिंग का नया नशा लग जाएगा। :)ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8316706252281751743.post-646333193831923692007-06-29T21:00:00.000+05:302007-06-29T21:00:00.000+05:30लेखन भी एक नशा है मगर कितना हसीन और सृजनात्मक. चलि...लेखन भी एक नशा है मगर कितना हसीन और सृजनात्मक. चलिये, यह सज्जन जो भी है, नकली नशे की गिरफ्त से छुटे और अब असली लुत्फ उठायेंगे नशे का भी और जीवन का भी. शुभकामनायें.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com