tag:blogger.com,1999:blog-8316706252281751743.post6184443072924865054..comments2023-04-03T15:21:35.238+05:30Comments on दीपक भारतदीप की राजलेख-पत्रिका: जीवन के खेल निरालेदीपक भारतदीपhttp://www.blogger.com/profile/09317489506375497214noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8316706252281751743.post-7773684555206760222007-08-04T16:15:00.000+05:302007-08-04T16:15:00.000+05:30बहुत बढिया लिखा है बधाई।इन सबसे परे होकरजो रखते है...बहुत बढिया लिखा है बधाई।<BR/><BR/>इन सबसे परे होकर<BR/>जो रखते हैं अपने<BR/>मन पर नजर<BR/>जीभ से निकले शब्दों में<BR/>जिनके होता है मिठास<BR/>हाथ उठते हैं<BR/>जिनके केवल सर्वशक्तिमान के आगे<BR/>उन्हें ही सहज भाव से<BR/>जीवन जीते देखा हैपरमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com