Apr 11, 2010

इंसानी मुखौटा-हिन्दी शायरी (insani mukhauta-hindi shayri)

भूख बाहर बिफरी है
अनाज के दाने गोदामों में पाये जाते हैं
भूखे इंसानों के पांव वहां तक क्या पहुचेंगे
पंछी भी पंख वहां तक नहीं मार पाते हैं।
इंसानी मुखौटा लगाये शैतानों ने
कर लिया है दौलत और ताकत पर कब्जा
अपनी भूख मिटाने के वास्ते
हुक्मत अपने इशारों पर चलाये जाते हैं।
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वादों पर कब तक यकीन करें
हर बार धोखा खाया है,
मगर फिर भी लाचारी से देखते
क्योंकि उन्होंने हर वादे से पहले
चेहरे पर नया मुखौटा लगाया है।

संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com

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2 comments:

दिलीप said...

bahut khoob...news me dekha tha kaise anaaj godamon ke bahar sad raha hai aur godamon me dau bhari hai...jaane kaise gareebi hategi is desh se...

http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

M.Singh said...

godamon men anaj sadraha hai yah dikhata hai ki hamare loktantra kee neetiyan kis tarah doshpurn hain. jab mutthibhar logon ke hath men puree sampada aajaygee to yahee to hoga.