Oct 30, 2015

मन के अभ्यास से-हिन्दी कविता(Man ke Abhyas se-Hindi Kavita)


दिमाग के भूत से
बचा सके इंसान को
बना कोई ताबीज नहीं है।

बिना श्रम के
सफलता की फसल उगाये
ऐसा कोई बीज नहीं है।

कहें दीपकबापू आत्मविश्वास से
जिंदगी का मार्ग सहज हो जाये
मन के अभ्यास से बुद्धि आये
वरना शिखर तक पहुंचाये
कोई ऐसी चीज नहीं है।
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कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'

ग्वालियर, मध्य प्रदेश

कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

Oct 19, 2015

मन के पतंगे-हिन्दी कविता(Man ke Patange-Hindi Kavita)

चंद लोग नारे लगाते
भीड़ वहीं जमा हो जाती है।

भलाई का नारा सबसे महंगा
 बिकने के बाद
छद्म साफ नीयत भी
कमा सो जाती है।

कहें दीपकबापू मन के पतंगे
सपनों में गंवा देते जान
ढूंढते तबाही में शान
झुलसाने के बाद
शमा खो जाती है।
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कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'

ग्वालियर, मध्य प्रदेश

कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
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Oct 8, 2015

लालच की परत-हिन्दी कविता(Lalch ki parat-Hindi Kavita)


काठ की हांडी एक बार चढ़े
वह जल जाये तो
दूसरी भी चढ़ जाती है।।

एक चढ़ा कर जलाये
दूसरा लेकर आता
कहानी बढ़ जाती है।

कहें दीपकबापू अज्ञानियों से
भरा पूरा समाज
अपने खून से पैदा करता बाज
ज्ञान जुबान पर सभी के
मगर फिर भी हारते
दिमाग पर लालच की
परत चढ़ जाती है।
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कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'

ग्वालियर, मध्य प्रदेश

कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
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Oct 2, 2015

जिंदगी का सफर-हिन्दी कविता(Zidagi ka Safar-HindiKavita)


जिंदगी के सफर में
हर लम्हे
नये हमसफर आते हैं।

चेहरे बदलते हैं
मगर हालात पुराने ही
साथ में घर लाते हैं।

कहें दीपकबापू नयी खबर से
वास्ता अब नहीं पड़ता
लोग नये ख्याल देखते
दिमाग में बरसों पुराने
इरादे भर आते हैं।
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कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'

ग्वालियर, मध्य प्रदेश

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