Jun 4, 2021

विशिष्ट व्यक्ति के पास रहने से आम से आप खास नहीं हो जाते-लघु व्यंग्य (you are not vip near stay with VIP-A hindi stire

विशिष्ट व्यक्ति के पास रहने से आम से आप खास नहीं हो जाते-लघु व्यंग्य
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            पूरे जीवन में सुख दुःख के साथ जिये। जब बेरोजगार घूम रहे थे तब यह अपेक्षा नहीं थी कि कोई नेता हमें नौकरी दिलवायेंगा। नौकरी की तो अपने काम पर भरोसा किया। कभी नहीं सोचा कि मक्कारी कर लो नेताओ से दोस्ती की बदौलत चलते रहेंगे।  हमारा अनुभव कहता है कि नेताओं की शक्ति इतनी नहीं है कि नौकरशाहों को साध सकें। होगा वही जो नौकरशाह चाहेंगे। पत्रकारिता का अनुभव भी यही रहा। नेता अपने स्वार्थ के लिये भीड़ लगाते हैं। भीड़ में हर आदमी को लगता है कि नेता उसका काम करेगा पर वहां से हटते ही वह उनके लिये पराया होता है। हमने यह भी देखा है कि नेताओं के लिये औपचारिक रूप से भीड़ पैसा देकर लायी जाती है। राह चलते हुए लोग उसमें फोकट में शामिल हो जाता है। पूरी भीड़ समर्थक लगती है पर होती नहीं। यही हाल नेता सबका पर किस का नहीं।
अनेक तरह के भ्रम लोगों को रहते हैं। नेताओं से करीबी उन्हें स्वयं को शक्तिशाली अनुभव करने की प्रेरणा देती है पर समय पड़ने पर जब उनका भ्रम टूटता है तो दुःखी होते हैं।  हमारा अनुभव है कि नेता किसी राजकीय पद पर भी हो तो वह अपने समर्थक या साथी का काम करने से डरता है क्योंकि उसे लगता है कि वह उसके सामने ही भ्रष्टाचारी कहलायेगा। पैसा देने को नहीं कहेगा। न काम करेगा।  दूसरों से मिले तोहफों को रखकर उनका काम करेगा। आप उसके कार्यालय में व्यर्थ ही सम्मान पाते रहियेगा पर काम नहीं निकलवा पायेंगे। काम हो तो वही तरीका अपनायें जो आम आदमी अपनाता है। बात सीधी आम विशिष्ट व्यक्ति के पास रहने वाले आम आदमी ही है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’

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