कल हमने एक हॉलीवुड फिल्म #Kingsman The Golden Circleदेखी। पता नहीं यह संयोग था या प्रयोग। हम कोरोना तथा उसके प्रचार को जिस तरह देख रहे हैं, इसकी विषय वस्तु हमारी उस राय से मेल खाती है। फिल्म में एक खलनायिका एक खतरनाक ड्रग्स बेचती है जिससे व्यक्ति की त्वचा बिगड़ जाती है और वह मरने का इंतजार करने लगता है। उसके इलाज का भी उसने इंतजाम किया है और वह एक राष्ट्रध्यक्ष को ब्लैकमेल करती है कि यदि वह अपनी जनता को बचाना चाहता है तो एक बड़ी रकम उसके खाते में जमा करे। उसके तत्काल बाद उसके दवाओं से भरे ड्रोन उन ठिकानों पर पहुंच जायेंगे जहां बीमार बंद हैं। ठीक वैसे ही जैसे चीन में कोरोना मरीज बंद किये जा रहे थे।
यह फिल्म 20 जनवरी 2020 में लोड की गयी। हम हॉलीवुड फिल्म देखते रहते हैं तो यूट्यूब हमारे सामने इनका लाता रहता है। यह फिल्म जिस तरह हमारे सामने आयी तो हमने खोलकर देखा। हमने सोचा कुछ देखकर बंद कर देंगे। जैसे फिल्म आगे बड़ी हमें लगा कि ड्रग्स का मामला है। चलो थोड़ा देख लेते हैं। किश्तों में फिल्म देखी। ऐसा लग रहा था जैसे कोरोना का विषय कुछ इसी तरह चल रहा है। जिस तरह भारत का बीमार बाज़ार विदेशी दवाओं का गुलाम बना है उससे शक होता है कि क्या कोई पटकथा लिखकर फंसाया गया है। कहां हम स्वदेश वैक्सीन की तरफ बढ़ रहे थे और कहां अब विदेशों से भीख मांग रहे हैं। ऐसा लगा रहा था कि फिल्म की खलनायिका कोई अमेरिका, यूरोप, रूस तथा चीन का परिचायक हो। बहरहाल आप मानते हैं कि कोरोना एक बीमारी है तो इसे न देखें पर हम जैस थोड़े सिरफिरे हैं तो यह फिल्म देखें। याद रखें हमारा नजरिया हमेशा ही उस प्रचार से अलग रहा है जिस पर आप यकीन करते हैं।
कोरोना वायरस के अनुसंधान से इलाज कम भ्रम ज्यादा हो रहा है-1
-----------
कोरोना वायरस को लेकर हमारी सोच अलग है। जिस तरह अंग्रेजी स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस पर अपना शोध प्रस्तुत कर रहे हैं उससे लगता है कि उनमें भ्रम की स्थिति है। हम अपने भारतीय दर्शन तथा योग के अभ्यास से जब इस संक्रमण को देखते हैं तो लगता है कि अंग्रेजी स्वास्थ्य सोच केवल हवाबाजी है।
इन्हीं अंग्रेजी विशेषज्ञो के अनुसार यह संकमण देह में नमी के अभाव में पनपता है तथा दूसरा यह भी कि अन्य रोग हो तो यह उसके लिये खाद्य पानी का काम करता है। इन्हीं विशेषज्ञों के अनुसार अगर यह संक्रमण हो जाये तो आदमी एकांत में रहकर स्वय से दूसरे के भी बचाये। नियमित भोजन पानी का सेवन करे तो वह पंद्रह दिन में ठीक हो जायेगा।
अब हम आज की स्थिति देखें तो ग्रीष्मकाल है और देह में स्वाभाविक रूप से नमी है तब यह संक्र्रमण कम जानलेवा लग रहा है। संभव है अनेक लोगों में मौजूद हो पर स्वतः ही 14 दिन में समाप्त हो जाये। समस्या आयेगी जुलाई अगस्त और सिंतम्बर में जब हमारे शरीर में नमी कम हो जाती है। भोजन छोड़िये पानी भी देह कठिनाई से पचाती है। संक्रमण के क्रम में जब उस समय यह वायरस जिसके शरीर में होगा उसे बहुत मुश्किल होगी। शायद यही कारण है सरकार के कुछ विशेषज्ञ उस समय की तैयारी कर रहे हैं।
--------------