तुम तय करो पहले
अपनी जिन्दगी में
चाहते क्या हो
फिर सोचो
किस्से और कैसे चाहते क्या हो
उजालों में ही जीना चाहते हो
तो पहले चिराग जलाना सीख लो
उससे पहले तय करो
रोशनी में देखना चाहते क्या हो
बहारों में जीना है तो
फूल खिलाना सीख लो
उड़ना है हवा में तो
जमीन पर पाँव
पहले रखना सीख लो
अगर तैरना है तो पहले
पानी की धार देखना सीख लो
यह ज़िन्दगी तुम्हारी
कोई खेल नहीं है
इससे खिलवाड़ मत करो
इसे मजे से तभी जीं पाओगे
जब दिल और दिमाग पर
एक साथ काबू रख सकोगे
तुम्हारे चाहने से कुछ नहीं होता
अपने नसीब अपने हाथ से
अपनी स्याही और
अपने कागज़ पर
लिखना सीख लो
पर पहले यह तय करो
इस जिन्दगी के इस सफर में
देखना और पढ़ना चाहते क्या हो
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3 comments:
बहुत बढिया रचना है।बहुत सही कहा है-
उजालों में ही जीना चाहते हो
तो पहले चिराग जलाना सीख लो
उससे पहले तय करो
रोशनी में देखना चाहते क्या हो
Bahut hi achhe vichar,
Dhanyavad
Aarambha
अच्छी लगी आपकी कविता....बधाई
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