Oct 16, 2017

आओ खूबसूरत चरित्रों की फिक्र करें-दीपकबापूवाणी (Aao Khubsurat charitron ki Fikra kahen-DeepakBapuwani)

जिससे डरे वही तन्हाई साथ चली,
प्रेंमरहित मिली दिल की हर गली।
दीपकबापूहम तो चिंगारी लाते रहे
अंधेरापसंदों को नहीं लगी रौशनी भली।
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सिंहासन के सौदे से परे
भले लोग वादे नहीं करते।
जनाब! जीत जाते जो जनमत
पूरे करने के इरादे नहीं करते।

उमस का मौसम बंद हवायें
आओ कुछ पल उदास हो जायें।
दीपकबापूकब तक तक रहें बदहवास
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अपने ही दिल का हाल जाने नहीं,
दिमाग की भी चाल माने नहीं।
दीपकबापूआभासी इलाके के बेगाने
झूठे सौदे का जाल जाने नहीं।
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अपने दिल के किस्से
चौराहों पर क्या बयान करें
लोग कान बंद किये हैं।
आंखें भी मतलब से सिये हैं।
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बदसूरत धोखबाजों का क्यों जिक्र करें,
आओ खूबसूरत चरित्रों की फिक्र करें।
दीपकबापूसपनों के बाज़ार में
लालच से परे दिल बेफिक्र करें।
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