हमने देखा था उगता सूरज
उन्होने देखा डूबता हुआ
वह कर रहे थे चंद्रमा की रौशनी में
जश्न मनाने की तैयारी
पर हमने देखा था पूरा दिन
हमारा मन भी था डूबा हुआ
वह आसमान में टिमटिमाते तारों की
बात करते हुए खुश हो रहे थे
जबकि हमारा बदन था
तब भी पसीने की बदबू लिया हुआ
सबकी जमीन और आसमान
अलग-अलग होते हैं
किसी को रात डराती है तो किसी को दिन
किसी को भूख नहीं लगती किसी को सताती है
इसलिए सब होते हैं अकेले
क्योंकि कोई किसी का नहीं हुआ
-----------------------------
समसामयिक लेख तथा अध्यात्म चर्चा के लिए नई पत्रिका -दीपक भारतदीप,ग्वालियर
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
तुम तय करो पहले अपनी जिन्दगी में चाहते क्या हो फिर सोचो किस्से और कैसे चाहते क्या हो उजालों में ही जीना चाहते हो तो पहले चिराग जलाना सीख...
-
देखता था शराब की नदी में डूबते-उतरते उस कलम के सिपाही को कई बार लड़खड़ाते हुए उसकी निगाहों में थी बाहर निकलने के मदद की चाहत दिखता था किसी...
1 comment:
bahut badia dost, anurag se eas blog ka pata chala, keep it up
mahesh kumar
Post a Comment