पारिवारिक क्लेशों पर लोग बतियाते हैंें
असल जीवन में ऐसे खलपात्र नहीं मिलते
जिनको देखकर वह घबड़ाते
झूठी कल्पनाओं और कहानियों के
नायक नायिकाओं
खलनायक खलनायिकाओं
को असल समझ कर
अपना दिल बहलाते
झूठ के पांव नहीं होते
इसलिये जमीन पर नहीं चलता
पर इलैक्ट्रोनिक पंख उसे
रंग बिरंगे रूप में लोगों के आगे इस तरह बिछाते
देखने वाले सच भूल जाते
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2 comments:
बहुत बढिया.लिखते रहें!!
वाह...वाह....
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