Sep 20, 2008

प्यार का सौदा करने के लिए बनाते नफरत का रास्ता-हिन्दी शायरी

क्यों गुमराह हुए जा रहे हो
अपनी खोपडी में भी देखो
कहीं अक्ल का डेरा है
मत जाओ उस बाज़ार में
जहां हर मर्ज़ के इलाज
करने वाले नीम हकीमों का घेरा है

अपनी पीर को परे नहीं कर पाए
वह क्या ज़माने को रोशनी दिखाएँगे
पूरे बाज़ार का सामन मुफ्त में समेट कर भी
बैचैन हैं जिनकी रूह
कुछ और पाने को
दिखावे के लिए हमदर्द बनते हैं
भला दूसरे के दर्द को दूर भगाएंगे
जुबान से सुना रहे सपनों का हाल
अपनों से बजवा रहे वाह-वाह की ताल
वह ख्वाब बेचते हैं
हकीकतों से नहीं उनका वास्ता
प्यार का सौदा करने के लिए
बनाते हैं नफरत का रास्ता
उम्मीद करोगे उनसे तो
जो हाथ में है वह भी निकल जायेगा माल
अपनी खुशियाँ अगर किसी की नहीं हुईं
तो गम कैसे दूसरे का हो जायेगा
इसलिए अपना ही समझ जो दर्द तेरा है

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