एक बूंद भी मिल जाती तो
अमृत पीने जैसा आनंद आता
पर लोग खुद ही तरसे हैं
तो हमें कौन पिलाता
स्वार्थों की वजह से सूख गयी है
लोगों के हृदय में बहने वाली
प्यार की नदी
जज्बातों से परे होती सोच में
मतलब की रेत बसे, बीत गईं कई सदी
कहानियों और किस्सों में
प्यार की बहती है काल्पनिक नदी
कई गीत और शायरी कही जातीं
कई नाटकों का मंचन किया जाता
पर जमीन पर प्यार का अस्तित्व नजर नहीं आता
गागर भर कर कभी हमने नहीं चाहा प्यार
एक बूंद प्यार की ख्वाहिश लिये
चलते रहे जीवन पथ पर
पर कहीं मन भर नहीं पाता
जमीन से आकाश भी फतह
कर लिया इंसान
प्यार के लिये लिख दिये कही
कुछ पवित्र और कुछ अपवित्र किताबों
जिनका करते उनको पढ़ने वाले बखान
पर पढ़ने सुनने में सब है मग्न
पर सच्चे प्यार की मूर्ति हैं सभी जगह भग्न
लेकर प्यार का नाम सब झूमते
सूखी आंखों से ढूंढते
पर उनकी प्यास का अंत नजर नहीं आता
प्यार कोई जमीन पर उगने वाली फसल नहीं
कारखाने में बन जाये वह चीज भी नहीं
मन में ख्यालों से बनते हैं प्यार के जज्बात
बना सके तो एक बूंद क्या सागर बन जाता
पर किसी को खुश कोई इंसान नहीं कर सकता
इसलिये हर कोई प्यार की एक बूंद के
हर कोई तरसता नजर नहीं आता
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1 comment:
बहत ही उम्दा . धन्यवाद
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