बरसता हर सावन में
महकता हर बसंत में
हर पल
हर जगह जमीन पर छितरा जाता।
हाथ से पकड़ा न जाये
आंख से देखा न जाये
कान से सुनना है कठिन
मूंह से चूसा न जाये
इंसान के रक्त में
अनुभूतियों के रस का प्रवाह न हो
तो प्यार की पहचान नहीं हो सकती
दिल के अहसास में प्यार अपनी जगह बनाता।
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