Apr 6, 2009

अनुभूति के रस का प्रवाह-हिंदी शायरी

प्यार अगर कहीं उगता तो
बरसता हर सावन में
महकता हर बसंत में
हर पल
हर जगह जमीन पर छितरा जाता।
हाथ से पकड़ा न जाये
आंख से देखा न जाये
कान से सुनना है कठिन
मूंह से चूसा न जाये
इंसान के रक्त में
अनुभूतियों के रस का प्रवाह न हो
तो प्यार की पहचान नहीं हो सकती
दिल के अहसास में प्यार अपनी जगह बनाता।
....................



यह आलेख इस ब्लाग ‘राजलेख की हिंदी पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिकालेखक संपादक-दीपक भारतदीप

No comments: