May 9, 2009

ओ! उदास रहने वालों-हिंदी शायरी

उदास मन है जमाने के
क्योंकि लोग खुशी बांटते नहीं हैं
अपने गमों का पिटारा खोले बैठे है सभी
खुश होने के अपने इरादे बांधते नहीं है।

बंद कर लिये हैं दरवाजे सोच के
दूसरे के दर्द पर हमदर्द बनना तो दूर
उसके दिल के दरवाजे पर झांकते नहीं है।

हारे हुए लोग ढूंढ रहे हैं
अंधेरों में खुशी के चिराग
ठंडा है शरीर पर
दिल में लगी है आग
अपनी खुशी को छिपाने की कोशिश
न हों फिर भी गम दिखाने की कोशिश
बांटते नहीं अपनी खुशी जमाने में हवा की तरह
एक झौंका बहकर कितने लोगों को
खुश कर सकता है जानते नहीं है।

ओ हमेशा उदास रहने वालों
बुरी खबरें तो अक्सर आती है
फिर भी देखते रहो उसमें कहीं अच्छी तो नहीं है
बनाये रखे अपना मनोबल
उससे अधिक ताकत किसी में नहीं है

..................................
यह आलेख इस ब्लाग ‘राजलेख की हिंदी पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिकालेखक संपादक-दीपक भारतदीप

No comments: