उस पर चढ़ने को लालायित है, सभी का जिगर।
ऊंची जगह पर पहुंचे, जो नहीं है उसके लायक
बदचलनों का हुआ बाजार पर कब्जा, जंग के बिगर।
कमजोर को हमेशा डराते, हथियारबंद होकर बड़े लोग
दहशतगर्दों के सामने लगती खुद उनको जान की फिकर।
पानी की बहती धार को पत्थर से रोकते, बेचने के वास्ते
तेल के व्यापार मे फायदे में भी आता है उनका जिकर।
कहलाते अमन के पहरेदार, मुजरिमों को देते पनाह
जमाने की जान क्या बचायेंगे, कर लें अपनी फिकर।
‘दीपक बापु’ असलियत जिनकी बौनी रही हमेशा
बड़ी जगहों पर पहुंचे पर छोटा रहा दिल और जिगर।।
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