पेट्रोल मंहगा
और आदमी को जिंदगी देने वाला
पानी बहुत सस्ता है।
बहाते हैं लोग पानी मु्फ्त का मानकर
पर पैट्रोल की कदर करते महंगा जानकर
बिना दाम लिये भलाई करने से
खुद के दिल को तसल्ली जरूर हो जाती है
पर जमाने में कद्र पाने के लिये
हर काम का दाम
वसूल करने का ही एक रस्ता है।
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जो तराशे गये हीरे
वह मुकुट में सज गये,
जिन पर नहीं पड़ी किसी की नज़र
वह खदान में ही सड़ गये।
दोष हीरों का नहीं
कद्रदानों का है
जिनकी नज़रें अब दौलत पर ही रहती हैं
कई तो हीरे के भाव लेकर पत्थर भी जड़ गये।
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कवि,लेखक-संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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