Jul 12, 2011

हम मुस्करा दिये-हिन्दी कविता (ham muskra diye-hindi kavita)

उसने कहा
‘हम जमाने को बदल देंगे।’
हम मुस्करा दिये।
उसने कहा
‘हम हर इंसान को खुश कर देंगे।’
हम मुस्करा दिये।
उसने कहा
‘बस, एक बार पद पर बैठ जाने दो
हम अपनी ताकत दिखा देंगे।’
हम मुस्करा दिये।

बोलने में ताकत कहां लगती है
मगर जब करने की ताकत आती है
तो फिर दिखाता कौन कहां है
पद में मदांध आदमी
एक शब्द बोलने पर भी
कत्ल कर सकता है
इस ख्याल ने डरा दिया
बस, हम यूं ही मुस्करा दिये।
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है।

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