तस्वीर में मुस्कराते चेहरे देखकर
उनकी दिल में छिपी उदासी का ख्याल आता है,
जिसने उतारा है उनका चेहरा
अपनी आंखों से
कहा होगा उन्हें मुस्कराने के लिये
यह साफ नज़र आता है।
कहें दीपक बापू
जिंदगी का बोझ ढो रहा है पूरा ज़माना
दौलत नहीं है तो दुःख दूर है
अगर हो तो भी सुख कहां निभाता है,
हां, मोहब्बत है जिनके साथ
उनकी सोहब्बत में
न चाहते हुए भी
मुस्कराना सभी को भाता है।
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उनकी दिल में छिपी उदासी का ख्याल आता है,
जिसने उतारा है उनका चेहरा
अपनी आंखों से
कहा होगा उन्हें मुस्कराने के लिये
यह साफ नज़र आता है।
कहें दीपक बापू
जिंदगी का बोझ ढो रहा है पूरा ज़माना
दौलत नहीं है तो दुःख दूर है
अगर हो तो भी सुख कहां निभाता है,
हां, मोहब्बत है जिनके साथ
उनकी सोहब्बत में
न चाहते हुए भी
मुस्कराना सभी को भाता है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
poet and writer-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है।
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