झूठ बोलना नहीं आता,
सच सहन कर सके कोई इंसान
सामने नज़र नहीं आता,
पाखंड पसंद जमाने को
लुभाने के लिये ख्वाब बेचना सरल है
आकाश में उड़ने की चाहत लिये
सभी खड़े हैं बाज़ार में
हकीकत की जमीन पर गिरते
जब मदहोश लोग
दिल बहलाने वाले खिलौने का
सच तभी उनके सामने आता।
कहें दीपक बापू
दिल का सच
अंदर ही सांस लेता रहता है
अपने दर्द का इलाज कर लेते है
हम अपनी सांसों से
सता सके कोई सपना
ऐसा कभी अपनी सोच में नहीं आता।
सच सहन कर सके कोई इंसान
सामने नज़र नहीं आता,
पाखंड पसंद जमाने को
लुभाने के लिये ख्वाब बेचना सरल है
आकाश में उड़ने की चाहत लिये
सभी खड़े हैं बाज़ार में
हकीकत की जमीन पर गिरते
जब मदहोश लोग
दिल बहलाने वाले खिलौने का
सच तभी उनके सामने आता।
कहें दीपक बापू
दिल का सच
अंदर ही सांस लेता रहता है
अपने दर्द का इलाज कर लेते है
हम अपनी सांसों से
सता सके कोई सपना
ऐसा कभी अपनी सोच में नहीं आता।
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है।
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४.हिन्दी पत्रिका
५.दीपकबापू कहिन
६. ईपत्रिका
७.अमृत सन्देश पत्रिका
८.शब्द पत्रिका
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1 comment:
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ
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