जीवन चक्र में कोई
अपनी योजना पर
होता बहुत सफल
कोई फंस जाता है।
जिसके हिस्से आया
भाग्य का खूबसूरत हिस्सा
भूल जाता है अपना दर्द
दूसरे पर रोज हंस जाता है।
कहें दीपक बापू सभी इंसान
लगते हैं एक जैसे
मगर दिल और दिमाग का
फर्क होता ही है,
कोई सोता है आंखें बंदकर
कोई जागते ही सोता है,
एक राह पर चलकर
कोई पहुंच जाता सिंहासन तक
दूसरा उसी पर गड्ढे में धंस जाता है।
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कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है।
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