आकाश में छाये काले बादल
तन को छूती हैं बरखा की बूंदें
मन को खुश करती बहती हुई शीतल हवा
ऐसे में आती हैं होंठो पर हंसी
कोई दिल में ख्याल नहीं होता
अक्सर यह सोचता हूं कि
समझ सकता खुशी क्या होती है
ऐसा कोई साथ होता
मुर्दा चीजों में मन लगाते हैं सब
जानते नहीं कि तसल्ली क्या होती
गर्मी में बंद वातानुकूलित कमरों में
अपनी जिंदगी का पल गुजारने वाले
क्या जाने सुख का मतलब
अवकाश के दिन पिकनिक
मनाने का इंतजार करते
जब लगती है धूप सताने
जिन्होने दी गर्मी में सूरज की जलती धूप को
अपने खून से पसीने की दी है आहूति
उनका ही सावन साथी होता
और वर्षा की हर बूंद उनके लिए अमृत होता
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दीपक भारतदीप
समसामयिक लेख तथा अध्यात्म चर्चा के लिए नई पत्रिका -दीपक भारतदीप,ग्वालियर
Jun 27, 2008
Jun 22, 2008
सापेक्ष मंत्र ही है जीवन का आधार-हिन्दी शायरी
जब दिल में हो अकेले होने को
होता है अहसास
तब बुरे ख्याल आ ही जाते हैं
जब भीड़ में
हो जाते अकेले ही अनायास
तब नापसंद लोग भी
सामने चले आते हैं
हम चाहकर भी सोच नहीं बदल पाते
न आंखे हटा पाते हैं
अपने मन में अंतद्र्वन्द्वों के
जाल में स्वयं ही फंसकर छटपटाते हैं
बुरे ख्याल छोड़ना हो
या नापसंद आदमी से मूंह फेरने की
कोशिश करने से से अच्छा है
किसी अच्छे ख्याल की तरफ चले जायें
किसी पसंद के शख्स को पास बुलायें
उपेक्षा कोई मंत्र नहीं है जो
उबार सके अंतद्र्वंद्वों से
सापेक्ष मंत्र ही है जीवन का आधार
मन जिनमें नही रमता
उनसे दूर हटकर भी कहां जीवन जमता
ऐसे में कोई नया कर दिखायें
बदल दें अपनी दिशायें
जिंदगी में अमन रखना है तो
किसी से दूर रहने के लिये
किसी के पास चले जाते हैं
हम तो इसी सापेक्ष मंत्र से
जीवन के दर्द का इलाज करते जाते हैं
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दीपक भारतदीप
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