शोर में शांति की तलाश
पराये झगड़े में मनोरंजन की आस
आदमी अपने लिये ढूंढता है चैन वहां
मिलती है बैचेनी जहा
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शांत करना पड़ता है दिल
तब ही मिलती है शांति
आंखों की दृष्टि हो साफ
तभी सुंदर लगती है कि
किसी सूरत की कांति
केवल तालियां बजाने से
कहीं भला चैन मिलता है
देखा गया दृश्य आंखों से
कानों से निकलकर सुर
तब ही पहुंच सकता है दिल तक
सत्य से परे होने की न हो भ्रांति
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उन्होंने पूछा एक पथिक से
‘क्या उस जगह का नाम
बता सकते हो जहां चैन मिलता हो
जहां मिले ऐसे लोगों की संगत
दिल का सुकून जिनसे मिलता हो’
पथिक ने कहा
‘जगह तो बहुत मिलेंगी
पर लोगों की संगत का पता नहीं
मिलते हैं चार जहां
जंग का आलम होता वहां
जहां हो वहीं ढूंढ लो अकेले में
भीड़ लोगों की हो या चीजों की
इनमें भल चैन कहां मिलता है
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दीपक भारतदीप
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