यही फर्क दिखा है
आजाद चलते हैं अपने ख्याल से
गुलाम आजाद होकर भी
चलता है उस रास्ते पर
जो उसके मालिक ने अपनी किताब में लिखा है
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सर्वशक्तिमान ने
एक आजाद आदमी को
धरती पर भेजते हुए पूछा
‘तू वहां क्या करेगा
किसी की चाकरी या
मालिकी करेगा’
आजाद आदमी ने कहा
‘दोनों में ही गुलामी होगी
गुलामी तो है ही बुरी
मालिकी में भी अपनी संपत्ति की
देखभाल करना गुलामी से क्या कम है
इसलिये वहीं विचरण करूंगा
जहां मेरा मन कहेगा
सर्वशक्तिमान ने धरती पर जाते गुलाम से पूछा
‘क्या तू भी धरती पर
आजादी से विचरण करेगा’
गुलाम ने कहा
‘इस जन्म में आजादी बख्श दें
तो बहुत अच्छा है
पर मालिक का नाम पहले ही बता दें तो अच्छा
वहां जाकर ढूंढना नहीं पड़ेगा
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1 comment:
इस जन्म में आजादी बख्श दें
तो बहुत अच्छा है
पर मालिक का नाम पहले ही बता दें तो अच्छा
वहां जाकर ढूंढना नहीं पड़ेगा
" ha ha ha great desire, nice to read"
Regards
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