Aug 8, 2009

नये इंसान के उड़ने की चाहत-हास्य व्यंग्य (insan ki chahat-hasya vyangya)

सर्वशक्तिमान ने एक नया इंसान तैयार किया और उसे धकियाने से पहले उसके सभी अंगों का एक औपचारिक परीक्षण किया। आवाज का परीक्षण करते समय वह इंसान बोल पड़ा-‘महाराज, नीचे सारे संसार का सारा ढर्रा बदल गया है और एक आप है कि पुराने तरीके से काम चला रहे हैं। अब आप इंसानों का भी पंख लगाना शुरु कर दीजिये ताकि कुछ गरीब लोग धनाभाव के कारण आकाश में उड़ सकें। अभी यह काम केवल पैसे वालों का ही रह गया।’
सर्वशक्तिमान ने कहा-‘पंख दूंगा तो गरीब क्या अमीर भी उड़ने लगेंगे। बिचारे एयरलाईन वाले अपना धंधा कैसे करेंगे? फिर पंख देना है तो तुम्हें इंसान की बजाय कबूतर ही बना देता हूं। मेरे लिये कौनसा मुश्किल काम है?
वह इंसान बोला-‘नहीं! मैं इंसान अपने पुण्यों के कारण बना हूं इसलिये यह तो आपको अधिकार ही नहीं है। जहां तक पंख मिलने पर अमीरों के भी आसमान में उड़ने की बात है तो आपने सभी को चलने और दौड़ने के लिये पांव दिये हैं पर सभी नहीं चलते। नीचे जाकर आप देखें तो पायेंगे कि लोग अपने घर से दस मकान दूर पर स्थित दुकान से सामान खरीदने के लिये भी कार पर जाते हैं। ऐसे लोगों पर आपकी मेहरबानी बहुत है और पंख मिलने पर भी हवाई जहाज से आसमान में उड़ेंगे। मुद्दा तो हम गरीबों का है!’

सर्वशक्तिमान ने कहा-‘वैसे तुम ठीक कहते हो कि पांव देने पर भी इंसान अब उसका उपयोग कहां करता है पर फिर भी पंख देने से तुम पक्षियों का जीना हराम कर दोगे। अभी तो तुम उड़ते हुए पक्षी को ही गुलेल मारकर नीचे गिरा देते हो। फिर तो तुम चाहे जब आकाश में उड़ाकर पकड़ लोगे।’

उस इंसान ने कहा-‘ऐसा कर तो इंसान आप का ही काम हल्का करता है। वरना तो आपका यह प्रिय जीव इंसान हमेशा हीं संकट में रहेगा। इनकी संख्या इतनी बढ़ जायेगी कि इंसान भाग भाग कर आपके पास जल्दी आता रहेगा।’
सर्वशक्तिमान ने कहा-‘अरे चुप! बड़ा आये मेरा काम हल्का करने वाले। वैसे ही तुम लोगों की वजह से हर एक दो सदी में अहिंसा का संदेश देने वाला कोई खास इंसान जमीन पर भेजना पड़ता है। वैसे तुम इंसानों ने वहां पर्यावरण इतना बिगाड़ दिया है कि नाम मात्र को पशु पक्षी भेजने पड़ते हैं। अधिक भेजे तो उनके लिये रहने की जगह नहीं बची है। सच तो यह है मुझे सभी प्रकार के जीव एक जैसे प्रिय हैं इसलिये सोचता हूं कि कुछ पशु पक्षी वहां मेरा दायित्व निभाते रहें। वह बिचारे भी मेरे नाम पर शहीद कर दिये जाते हैं इस कारण उनको अपने पास ही रखना पड़ता है। कभी सोचता हूं कि उनको दोबारा नीचे भेजूं पर फिर उन पर तरस आ जाता है। वैसे मैंने तुम इंसानों को इतनी अक्ल दी है कि बिना पंख आकाश में उड़ने के सामान बना सको।’
वह इंसान बोला-‘वह सामान तो बहुत है पर वहां पेट्रोल की वजह से एयर लाईनों में किराये बढ़े गये हैं और उसमें अमीर ही उड़ सकते हैं या आपके ढोंगी भक्त! गरीब आदमी का क्या?’

सर्वशक्तिमान ने कहा-‘गरीब आदमी जिंदा तो है न! अगर उसे पंख लगा दिये तो भी उड़ नहीं सकेगा। अभी गरीब आदमी को कहीं बैल की तरह हल में जोता जाता है और कहीं उसे घोड़े की जगह जोतकर रिक्शा खिंचवाया जाता है। अगर पंख दिये तो उसे अपने कंधे पर अमीर लोग ढोकर ले जाने पड़ेंगे। इंसान को इंसान पर अनाचार करने में मजा आता है और इस तरह तो गरीब पर अनाचार की कोई सीमा ही नहीं रहेगी। वैसे तुम क्यों फिक्र कर रहे हो।
वह इंसान बोला-‘महाराज, मैं तो बस जिंदगी भर आकाश में उड़ना चाहता हूं।’
सर्वशक्तिमान ने कहा-‘अब तो बिल्कुल नहीं। तुम इंसानों को अक्ल का खजाना दिया है पर तुम उसका इस्तेमाल पांव से चलने पर भी नहीं कर पाते तो उड़ते हुए तो वैसे ही वह अक्ल कम हो जाती है। इतनी सारी दुर्घटनाओं के शिकार असमय ही यहां चले आते हैं और जब तक उनके दोबारा जन्म का समय न आये तब तक उनको भेजना कठिन है। उनसे पूरा पुराना अभिलेखागार भरा पड़ा है। अगर तुमको आकाश में उड़ने के लिये पंख दिये तो फिर ऐसे अनेक पुराने अभिलेखागार बनाने होंगे। अब तुम जाओ बाबा यहां से! कुछ देर बाद कहोगे कि सांप की तरह विष वाले दांत दे दो। अमीर तो अपनी रक्षा कर लेता है गरीब कैसे करेगा? जबकि उससे अधिक विष अंदर रहता ही है भले दांत नहीं दिये पर उसने तुम इंसान कहां चूकते हो।’
सर्वशक्तिमान ने उस जीव को नीचे ढकेल दिया।
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