गरीबी और महंगाई के मुद्दों से
हर जगह मुंह मोड़ लो,
जो बरसों तक रहे बेनतीजा
ऐसी बहसें चलती रहें
बिना मतलब के मुद्दे जोड़ लो,
तभी विज्ञापन का सदाबहार पेड़
बढ़ता रहेगा
चाहे जब फल तोड़ लो।
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कवि, संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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लड़ते रहो दोस्तो ख़ूब लड़ो किसी तरह अपनी रचनाएं हिट कराना है बेझिझक छोडो शब्दों के तीर गजलों के शेर अपने मन की किताब से निकल कर बाहर दौडाओ...
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