विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे की भारत पर विशेष दृष्टि पड़ी है। शुरुआती दौर में अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन पर अपने अभियान से सनसनी फैलाने वाले जूलियन असांजे को जेलयात्रा भी करनी पड़ी पर वह नहीं माने। उस समय ऐसा नहीं लगता था कि भारत पर उनकी कभी वक्र दृष्टि पड़ेगी पर अपने खुलासों से हिलते हुए इस देश में कोई तगड़ी प्रतिक्रिया न मिलने की वजह से उनका ध्यान गया।
ऐसा लगता है कि विकिलीक्स की पश्चिमी देशों में वैसी हलचल नहीं हुई जैसा असांजे चाहते थे पर भारत में फैली कंपकपी भरी प्रतिक्रिया पर उनकी नज़र गयी। यही कारण है कि उनके दो साक्षात्कार भारत के बारे में सुनने को मिले। पहली बार तो उन्होंने कहा कि ‘भारत में अन्ना हज़ारे का आंदोलन उनकी गतिविधियों के कारण ही हुआ।’’
अब उनका कहना है कि स्विस बैंक तथा आईसलैंड सहित चार स्थानों पर काला धन रखने वाले खातेदारों के नाम उनके पास हैं। यह भी बताया कि स्विस बैंकों में सबसे अधिक खातेदार भारत के ही हैं। वह उनको उज़ागर करने वाले हैं। जूलियन असांजे के बारे में हमने केवल प्रचार माध्यमों से ही-टीवी चैनल और समाचार पत्र-जाना है। जूलियन असांजे इतना लोकप्रिय क्यों है? दरअसल इस संसार में आमतौर से ईमानदार और उत्साही लोग चालाक नहीं होते और जो चालाक होते हैं वह उत्साही और ईमानदार नहीं होते क्योंकि उनका लक्ष्य केवल अपना काम निकालना होता है। जब कोई ईमानदार और उत्साही व्यक्ति चालाक होता है तो वह ऐसे कारनामें करता है जिससे दुनियां हिलने लगती है। जूलियन असांजे इसी तरह का आदमी लगता है। आज टीवी चैनलों पर उसका आत्मविश्वास देखकर यही लगा।
शुरुआती दौर में जूलियन असांजे की नज़र में पूरी दुनियां थी पर अब वह भारत की तरफ अपना लक्ष्य कर रहा है। उसने देख लिया है कि पाकिस्तान की आई.एस.आई के बारे में किये गये विकीलीक्स रहस्योद्घाटन केवल प्रचार माध्यमों के लिये रस्मी समाचार और बहस का विषय बनकर रह जाते हैं। उस पर कोई इससे अधिक प्रतिक्रिया नहीं होती। दूसरा शायद उसने यह भी मान और लिया लगता है कि अंततः भारत का ही धन कहीं न कहीं इसी आई.एस.आई के पास पहुंच जाता है। यकीनन यह धन काला ही होता है और शायद इसी कारण जूलियन असांजे काले धन के विषय पर स्पष्ट रूप से विचार व्यक्त कर रहा है। भारत के आर्थिक स्तोत्रों से दुनियां में क्रिकेट के खेल जैसी सफेदपोश गतिविधियां चल रही हैं तो उसके पीछे काला धन कहीं न कहीं अपना काला खेल भी कर रहा है।
बहरहाल उसने कहा है कि वह सभी खातेदारों के नाम देने वाला है। उसने यह भी बताया कि स्विस बैंकों के डाटा वापस करने पर उसे चुराने वाले को छोड़ने की भी पेशकश की गयी थी। मतलब यह चुराने वाला ही उनके पास एक बंधक है जिसके दम पर उसे ब्लेकमेल करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि भारत विश्व में आर्थिक शक्ति बनकर उभर रहा है इसलिये उसका काला सच सार्वजनिक रूप से जाहिर कर यह साबित किया जा रहा है कि वह केवल काले धन की वजह से है। संभव है कि पश्चिमी देशों के कुछ विशेषज्ञों ने अपने देश की हलचल से बचने के लिये जूलियन असांजे को भारत की तरफ खिसका दिया है या फिर जूलियन असांजे स्वयं ही अन्ना हजारे के आंदोलन को अपनी गतिविधियों से उपजा मानते हुए और अधिक प्रतिक्रिया देखने के लिये यह सब कर रहा है। अगर वह ऐसा करने में सफल रहा तो बाकी दुनियां का पता नहीं मगर भारत में उसका नाम इतिहास में ऐसा दर्ज हो जायेगा कि सदियों तक बड़े बड़े लोग उस जैसा होने का सपना पालेंगे।
इतना तय है कि अगर वाकई वह ऐसा कोई रहस्य जाहिर करता है तो यहां तूफान मच सकता है। अन्ना हजारे साहब का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चूंकि किश्तों में चलना है इसलिये उसमें अनेक बार ठहराव तो आता रहेगा पर इधर बाबा रामदेव चार मई से सत्याग्रह का आयोजन कर रहे हैं। अन्ना साहिब की प्रारूपण समिति अपनी लोकप्रियता और विश्वसीनयता को लेकर लोगों की नजरों के प्रश्नवाचक चिन्ह स्थापित कर चुकी है। इसके अलावा अन्ना हज़ारे का आदोलन मोमबतियां जलाकर जश्न मनाने वालों के कारण थोड़ा ठंडा हो गया लगता है पर बाबा रामदेव का अभियान फिर रंग में आ सकता है। ऐसे में असांजे की विकीलीक्स का खोई भी खुलासा दोनों आंदोलन के लिये अतिरिक्त ऊर्जा का काम कर सकता है।
हम जैसे आम लेखक और लोग तो अब आंकड़ों के खेल से ही डरने लगे हैं। दो लाख करोड़, सत्तर हज़ार करोड़ और पच्चपन हजार करोड़ की संपति, कर चोरी या आय की बात सुनते हैं तो दिमाग काम करने लगता है। भारत के बारे में कहा जाता था कि यह डाल डाल पर सोन की चिड़िया बसती है। हर जगह दूध की नदियां बहती हैं। बाद में भारत को गरीब देश कहा जाने लगा। अब तो विकास हो गया है लगता है पर अब सोने की चिड़िया नहीं दिखती बल्कि जहां तहां खाते दिखते हैं जहां ढेर सारी राशि हजार करोड़ के आंकड़ों के रूप में बहती दिखती है। बहरहाल जूलियन असांजे, अन्ना हजारे और बाबा रामदेव ऐसी त्रिमूर्ति दिखती है जो भारत में राम राज्य स्थापित करने का प्रयास करती दिखती है। सच क्या है भगवान ही जानता है। अपने यहां इधर यह भी होने लगा है कि खुलासे करने वाले के भी खुलासे हो जाते हैं और भ्रष्टाचार से लड़ने का दावा करने वाले योद्धाओं के भी भ्रष्टाचार के आरोप पीछा करते दिखते हैं। अगर हम कहें कि हम एक युद्ध चलता देख रहे हैं। वह छद्म है या सच इसका पता तो परिणाम आने पर ही पता लगेगा। अलबत्ता असांजे की विश्वसनीयता परखने का समय भी आ गया है क्योंकि अगर उसने अपने दावे के अनुरूप काम नहीं किया तो कुछ लोग उसे भी ब्लेकमेलर बता सकते हैं जो कि उसकी आजतक बनी छवि के प्रतिकूल होगा।
------------
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.comयह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.हिन्दी पत्रिका
५.दीपकबापू कहिन
६. ईपत्रिका
७.अमृत सन्देश पत्रिका
८.शब्द पत्रिका
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.हिन्दी पत्रिका
५.दीपकबापू कहिन
६. ईपत्रिका
७.अमृत सन्देश पत्रिका
८.शब्द पत्रिका