इश्क अब आशिकों के जज़्बात से
नहीं गाड़ियों से नसीब में आता है,
इसलिये ही कई बार माशुका तो
कई बार आशिक का भी मॉडल बदल जाता है।
माशुका की सूरत की असलियत चाहे कुछ भी हो
परिधान और श्रृंगार पर आशिक मिट जाता है
इसलिये ही
कई बार माशुका खुद
तो कई बार उसका आशिक का चेहरा भी
फैशन की तरह बदल जाता है।
केवल पैसे और चेहरे से ही
नहीं आती मोहब्बत दिल में
पेट्रोल का गाड़ियों में बहना भी जरूरी है
फिर बहारों से इश्क की केाई नहीं दूरी है
जिसमें घासलेट की मिलावट तो होगी
पर उसका फर्क कहां नज़र आता है
आग हो रहे आशिक
धुंआ हो रही माशुकाऐं
बढ़ती महंगाई में इश्क हो रहा है सस्ता
आंख की चमक भले ही दिखे
पर उसका दिल से कोई नहीं नाता है।
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इसलिये ही कई बार माशुका तो
कई बार आशिक का भी मॉडल बदल जाता है।
माशुका की सूरत की असलियत चाहे कुछ भी हो
परिधान और श्रृंगार पर आशिक मिट जाता है
इसलिये ही
कई बार माशुका खुद
तो कई बार उसका आशिक का चेहरा भी
फैशन की तरह बदल जाता है।
केवल पैसे और चेहरे से ही
नहीं आती मोहब्बत दिल में
पेट्रोल का गाड़ियों में बहना भी जरूरी है
फिर बहारों से इश्क की केाई नहीं दूरी है
जिसमें घासलेट की मिलावट तो होगी
पर उसका फर्क कहां नज़र आता है
आग हो रहे आशिक
धुंआ हो रही माशुकाऐं
बढ़ती महंगाई में इश्क हो रहा है सस्ता
आंख की चमक भले ही दिखे
पर उसका दिल से कोई नहीं नाता है।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.comयह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है।
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