May 12, 2011

हिन्दी कविता-मिलावट और दिखावट (hindi kavita-milavat aur dikhavat)

हर शय में मिलावट हो गयी है
ऐसे में मुश्किल है शुद्ध इंसान की तलाश करना,
हमेशा ही बेकार कही गयी
बबूल के पेड़ से आम के फल की
आशा करना,
शैतानी नीयत सभी के दिल में है
चेहरे की भलमानस की अदाऐं
अब दिखावट हो गयी है।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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