आदमी बेईमान हो या ईमानदार
सभी इंसान सूरत तो इंसान जैसी पाते हैं,
पहली नज़र में पहचानने का दावा
कौन बेवकूफ करता है
यहां हर कदम पर वादे
धोखे में बदल जाते हैं।
कहें दीपक बापू
इश्क केवल हो सकता है सर्वशक्तिमान से
इंसानी रिश्तों के क्या भरोसा,
दिल ने जिसे प्यार किया
फिर उसी को कोसा,
लोगों के ख्यालों पर यकीन करना बेकार है
मतलब और समय के साथ
फायदे के लिये रिश्ते भी बदल जाते हैं।
सभी इंसान सूरत तो इंसान जैसी पाते हैं,
पहली नज़र में पहचानने का दावा
कौन बेवकूफ करता है
यहां हर कदम पर वादे
धोखे में बदल जाते हैं।
कहें दीपक बापू
इश्क केवल हो सकता है सर्वशक्तिमान से
इंसानी रिश्तों के क्या भरोसा,
दिल ने जिसे प्यार किया
फिर उसी को कोसा,
लोगों के ख्यालों पर यकीन करना बेकार है
मतलब और समय के साथ
फायदे के लिये रिश्ते भी बदल जाते हैं।
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है।
No comments:
Post a Comment