हादसों पर रोते लोगों के आंसु
पौंछने का जिम्मा जिन लोगों ने लिया
वह हमदर्दी का सौदा करने लगे हैं,
दवा लाने के लिये घायलों से लेकर पैसा
अपनी जेब भर लगे हैं।
कहें दीपक बापू
चौराहे पर रोने का कोई फायदा नहीं
कदम कदम पर कराहते लोग
क्या दर्द बांटेंगे,
कुछ पेशेवर दरियादिल भी हैं
जो जख्म की जात छांटेंगे,
फिर भी उम्मीद नहीं
दरबारों से नहीं आती मदद,
दोस्त दुश्मन बांट लेते रसद,
सिंहासनों पर बैठे लोग केवल मतलब के सगे हैं।
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पौंछने का जिम्मा जिन लोगों ने लिया
वह हमदर्दी का सौदा करने लगे हैं,
दवा लाने के लिये घायलों से लेकर पैसा
अपनी जेब भर लगे हैं।
कहें दीपक बापू
चौराहे पर रोने का कोई फायदा नहीं
कदम कदम पर कराहते लोग
क्या दर्द बांटेंगे,
कुछ पेशेवर दरियादिल भी हैं
जो जख्म की जात छांटेंगे,
फिर भी उम्मीद नहीं
दरबारों से नहीं आती मदद,
दोस्त दुश्मन बांट लेते रसद,
सिंहासनों पर बैठे लोग केवल मतलब के सगे हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
poet and writer-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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