भारतीय वैज्ञानिक आज मंगल पर खोज के लिये एक अंतरिक्ष यान प्रेषित कर देश के लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाया है| इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा का सारा विश्व लोहा मानता है यह अलग बात है कि यहां पूरी सुविधायें न होने से अनेक लोग पलायन कर दूसरे देशों की सेवा करते हैं। इतना ही नहीं भारतीय प्रचार माध्यम भी विदेशों में काम कर रहे भारतीय मूल के वैज्ञानिकों का चमत्कृत करने वाला प्रचार करते है। इससे भारतीय जनमानस के एक बहुत बड़े वर्ग में यह भाव होता है कि हमारे यहां तो विदेशों जैसा विकास हो ही नहीं सकता। इतना ही नहीं एक वर्ग ऐसा भी है जो किसी वैज्ञानिक उपलब्धि पर यह कहकर फब्ती कसता है कि ऐसे काम की बजाय देश के गरीबों पर पैसा खर्च किया जाता। यह संकीर्ण मानसिकता का प्रमाण है कि अपने देश के वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ाने की बजाय घटाने का प्रयास किया जाये। जिस तरह देश में निराशा का वातावरण है उसमें भारतीय वैज्ञानिकेां ने मंगल पर जाने योग्य अंतरिक्ष यान का निर्माण कर लिया इसके लिये वह बधाई के पात्र हैं।
जहां तक देश में व्याप्त समस्याओं की बात है तो वह कभी खत्म नहीं होंगी
अलबत्ता उन्हें नियंत्रित करने के सरकारी प्रयास होते रहे हैं यही बात महत्वपूर्ण
है। अगर कुछ जनहितैषी विद्वान ऐसी
उपलब्धियों की देश में व्याप्त समस्याओं की आड़ में खिल्ली उड़ाते हैं तो उन पर दया
ही आती है। वह देश या राष्ट्र के बने रहने के सिद्धांतों को नहीं समझते। अगर उनकी बात मान ली जाये तो राज्य केवल राजस्व
वसूली करे और प्रजा में रोटियां बांटता फिरे।
न सेना की जरूरत न पुलिस की जरूरत, बस सभी तरह रोटियां बांटने वाले दफ्तर खुले होने चाहिये। ऐसे लोगों के बयान हास्यास्पद होते है।
एक राष्ट्र के नियंत्रक को प्रजा का आत्मविश्वास तथा अन्य राष्ट्रों की
प्रजा में अपनी छवि बनाये रखने का समान प्रयास करना चाहिये। जहां तक वैज्ञानिक प्रतिभाओं की बात है तो भारत
की छवि उज्जवल है। दूसरी बात यह कि भारत में गरीब अधिक संख्या में है पर यह गरीब
देश नहीं कहा जा सकता। देश में कृषि, खनिज तथा वन संपदा का अकूत भंडार है।
समस्या आर्थिक असमान वितरण की है न कि पैसे की कमी की। ऐसा कौनसा देश हैं
जहां सारे अमीर है। ढूंढने निकलें तो अमेरिका तक में गरीबी मिल जाती है। गरीब के हित का ख्याल होना चाहिये पर इसका यह
आशय कतई नहीं है कि उच्च तथा मध्यम वर्ग के लोगों के आत्मविश्वास बढ़ाने पर पर ध्यान नहीं दें। इस
तरह की उपलब्धियां उन लोगों को आत्मविश्वास बढ़ाती हैं, जो राष्ट्र निर्माण के साथ ही उसकी रक्षा के कार्य में
तत्पर होते हैं। यह आत्मविश्वास राष्ट्र के लिये अप्रत्यक्ष रूप से फलदायी होता
है। अपने आत्मविश्वास से युवा वर्ग
राष्ट्र को स्थिरता और विकास के मार्ग पर ले जाता है। यह ठीक है इससे उनको
व्यक्तिगत लाभ होता है और राज्य का भी यही लक्ष्य होता है कि लोग आत्मनिर्भर बने। प्रजा का निजी लाभ ही राज्य का लाभ होता है। जब
हम राष्ट्र की बात करते हैं तो उच्च, मध्यम और गरीब तीनों वर्ग के लोग उसमें शमिल रहते हैं और राज्य का यह काम
है कि वह सबका ध्यान रखे। मंगल मिशन से
देश का आत्मविश्वास बढ़ेगा उसके लाभों का रुपयों में आंकलन नहीं किया जा सकता।
बहरहाल यह मंगल मिशन कामयाब हो इससे हमें बहुत प्रसन्नता होगी। देश के आर्थिक तथा वैज्ञानिक रणनीतिकारों ने इस
प्रयास में रुचि लेते हुए इसमें सहमति दी इसके लिये वह भी बधाई के पात्र
हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे
वैज्ञानिकों ने कुछ सोच समझकर ही यह मिशन तैयार किया होगा। इसके लिये वह बधाई के
पात्र हैं। हमारी कामना है कि वह सफल हों।
कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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