नशे में जिंदगी
ढूंढने वालों पर
तरस आता है।
मस्त रहते
मानो मदहोशी में
स्वर्ग बरस जाता है।
कहें दीपकबापू दिल के दर्द से
छूटकारा दिला सके
ऐसी दवा बनी नहीं
चैतन्य का साझीदार
अंदर ही रस पाता है।
--------------
समसामयिक लेख तथा अध्यात्म चर्चा के लिए नई पत्रिका -दीपक भारतदीप,ग्वालियर
No comments:
Post a Comment