तुम्हारे बदन पर हो कोई जख्म
दर्द मुझे होता है
यह रिश्ता तन का नहीं
मन का बना होता है
घाव तो कभी न कभी
हर किसी को लगते हैं
गैरों और परायों में भी
कोई न कोई मरहम लगाने
वाला भी होता है
साथ निभाने के लिए
वादा तो बहुत लोग करते हैं
जिन्दगी के इस रास्ते पर
कई लोग साथ चलते हैं
पर हमसफर का हमदर्द होना भी
जरूरी होता है
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तुम्हारी आंखों में
मेरे लिए हमदर्दी
हमेशा दिखती है
तुम्हारी सांसों में
मेरी मदद की चाह
हमेशा पलती है
न चाहूँ मैं प्यार
न चाहूँ अपने लिए हमदर्दी
तुम्हारी जुबान से निकले
शहद जैसे मीठे शब्दों से ही
जीवन में जीतने की इच्छा
मेरे दिल में बढती है
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समसामयिक लेख तथा अध्यात्म चर्चा के लिए नई पत्रिका -दीपक भारतदीप,ग्वालियर
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लड़ते रहो दोस्तो ख़ूब लड़ो किसी तरह अपनी रचनाएं हिट कराना है बेझिझक छोडो शब्दों के तीर गजलों के शेर अपने मन की किताब से निकल कर बाहर दौडाओ...
3 comments:
बहुत ख़ूब.
बहुत खूब!
साथ निभाने के लिए
वादा तो बहुत लोग करते हैं
जिन्दगी के इस रास्ते पर
कई लोग साथ चलते हैं
पर हमसफर का हमदर्द होना भी
जरूरी होता है
excellent
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