Jul 22, 2007

मन का रिश्ता

तुम्हारे बदन पर हो कोई जख्म
दर्द मुझे होता है
यह रिश्ता तन का नहीं
मन का बना होता है

घाव तो कभी न कभी
हर किसी को लगते हैं
गैरों और परायों में भी
कोई न कोई मरहम लगाने
वाला भी होता है

साथ निभाने के लिए
वादा तो बहुत लोग करते हैं
जिन्दगी के इस रास्ते पर
कई लोग साथ चलते हैं
पर हमसफर का हमदर्द होना भी
जरूरी होता है
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तुम्हारी आंखों में
मेरे लिए हमदर्दी
हमेशा दिखती है
तुम्हारी सांसों में
मेरी मदद की चाह
हमेशा पलती है
न चाहूँ मैं प्यार
न चाहूँ अपने लिए हमदर्दी
तुम्हारी जुबान से निकले
शहद जैसे मीठे शब्दों से ही
जीवन में जीतने की इच्छा
मेरे दिल में बढती है
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3 comments:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

बहुत ख़ूब.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत खूब!

Anonymous said...

साथ निभाने के लिए
वादा तो बहुत लोग करते हैं
जिन्दगी के इस रास्ते पर
कई लोग साथ चलते हैं
पर हमसफर का हमदर्द होना भी
जरूरी होता है
excellent