उनके दिखाये सपनों का पीछा करते कई घर तबाह हो गये,
अंधेरे को भगाने के लिये जलाई आग में अंधे स्वाह हो गये।
जंग भड़काई थी जमाने में, ईमान और इंसाफ लाने के लिये
हार गये तो अपने ही दोस्तों के खिलाफ एक गवाह हो गये।
मुखौटा लगाया पहरेदार का, सब का भरोसा जीतने के लिये,
लुट गया सामान, भरोसा करने वालों के चेहरे स्याह हों गये।
जिंदगी बनाने का दावा करने वालों पर नहीं करना भरोसा,
बेईमान चढ़े हैं हर शिखर पर, ईमानदार अब तबाह हो गये।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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