जब तक मतलब था
दरियादिली उन्होंने दिखाई
फिर अचानक लापता हो गये,
हमने उनका पता ढूंढ निकाला
जब मिले दोबारा तो
उनकी तंगदिली देखकर हैरान हुए हम
इससे तो उनकी यादें बेहतर थी
पछताये जो फिर उनके पास गये।
--------
प्यार में धोखा नहीं होता तो
सच्चे प्यार की पहचान कैसे होती,
दौस्ती में गद्दारी न होती तो
वफा की कीमत भला क्या होती,
जिंदगी की असलियत जिसने जान ली
उसे दिल के घायल होने की शिकायत नहीं होती।
---------
कवि, संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
-------------------------
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
समसामयिक लेख तथा अध्यात्म चर्चा के लिए नई पत्रिका -दीपक भारतदीप,ग्वालियर
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
तुम तय करो पहले अपनी जिन्दगी में चाहते क्या हो फिर सोचो किस्से और कैसे चाहते क्या हो उजालों में ही जीना चाहते हो तो पहले चिराग जलाना सीख...
-
देखता था शराब की नदी में डूबते-उतरते उस कलम के सिपाही को कई बार लड़खड़ाते हुए उसकी निगाहों में थी बाहर निकलने के मदद की चाहत दिखता था किसी...
2 comments:
VAKT PARIWARTANSHEEL HAI,PAR HAALAAT SAMAY KO BHI BADAL DETE HAIN
VAKT PARIWARTANSHEEL HAI,PAR HAALAAT SAMAY KO BHI BADAL DETE HAIN
Post a Comment