मेरे दिल में न खुशी है
न कोई गम है
अपनी हालातों से परेशान लोग
हैरान है यह देखकर
यह कभी रोता नहीं
कभी हंसता भी नहीं
बिचारे नहीं जानते
बाज़ार में बिकने वाले
जज़्बात मैंने खरीदना छोड़ दिया है,
इंसानों के फरिश्ते होने की
उम्मीद कभी नहीं करता
अपनी रूह से दिमाग का
अटूट रिश्ता जोड़ दिया है।
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न कोई गम है
अपनी हालातों से परेशान लोग
हैरान है यह देखकर
यह कभी रोता नहीं
कभी हंसता भी नहीं
बिचारे नहीं जानते
बाज़ार में बिकने वाले
जज़्बात मैंने खरीदना छोड़ दिया है,
इंसानों के फरिश्ते होने की
उम्मीद कभी नहीं करता
अपनी रूह से दिमाग का
अटूट रिश्ता जोड़ दिया है।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है।
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