उनके पेट
कभी नहीं भरेंगे
जहरीले हैं,
रोटी की लूट
सारे राह करेंगे
जेब के लिए,
मीठे बोल हैं
पर अर्थ चुभते
वे कंटीले हैं।
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फिर आएंगे
वह याचक बन
कुछ मांगेंगे,
दान लेकर
वह होंगे स्वामी
हम ताकेंगे,
वह होंगे स्वामी
हम ताकेंगे,
हम सोएँ हैं
बरसों से निद्रा में
कब जागेंगे,
सेवक कह
वह शासक होते
भूख चखाते
पहरेदार
अपना नाम कहा
लुटेरे बने
लूटा खज़ाना
आँखों के सामने है
कब मांगेंगे।
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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