Aug 13, 2012

अपने अपने अहसास-हिन्दी कविता (apne apne ahasas-hindi poem kavita)

महलों में रहने वालों को
बरसात में छत टपकने के अहसास नहीं होते,
आसमान की हवा में
विमानों में उड़ते है जो लोग
सड़क पर उनके पांव में
कांटे चुभने के अहसास नहीं होते।
कहें दीपक बापू
हमने गुजारी जिंदगी आम आदमी की तरह
इसलिये खास रास्तों से गुजरने का
सुख कभी नसीब नहीं होता
मगर कहीं से नीचे गिरने के खौफ के
अहसास भी कभी नहीं होते।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’,ग्वालियर
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com




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