Dec 12, 2013

लोकतंत्र के गीत-हिन्दी व्यंग्य कविता(loktantra ke geet-hindi vyangya kavita or satire poem)

लोकतंत्र में ईमानदार होने से ज्यादा
दिखना जरूरी है,
वादे करते जाओ,
दावे जताते जाओ,
भले ही यकीन से उनकी दूरी हो।
कहें दीपक बापू
सत्ता का रास्ता चुनाव से जाता है,
लोगों को शब्दों के जाल में फंसना  भाता है,
चल रहा है देश भगवान भरोसे,
इंसानों को कोई क्यों कोसे,
दिल में भले ही कुर्सी के मचलता हो,
दिमाग में अपना घर भरने का विचार पलता हो,
सादगी दिखाओ ऐसी
जिसमें चालाकी भरी पूरी हो।
गरीब का भला न कर पाओ,
पर नित उसके गीत गाओ,
चाहे जुबान की जो मजबूरी हो।
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 कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'

ग्वालियर, मध्य प्रदेश

कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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