रास्ते में मिलने पर फंदेबाज बोला
‘‘दीपक बापू, मैली धोती और कुचला कुर्ता पहनकर
इस पुराने थैले में कविताओं के साथ
कुछ रुपया भी साथ में धरा करो
राहजनी बढ़ गयी है कोई घेरेगा तो
कुछ माल न मिलने पर नाराज हो सकता है
इसलिये तुम डरा करो,
सामानों के दाम जितने चढ़े हैं,
अपराध भी उस पैमाने पर बढ़े हैं,
टीवी के पर्दे पर विकास देखकर
कहीं इस धरती पर स्वर्ग का अहसास न करना,
विकास के मसीहाओं की अगर चली चाल
नरक में सांस लेने पर भी पड़ेगा शुल्क भरना,
तुम्हारी फ्लाप कविताओं से नहीं सुधरेगा समाज
चाहे शब्दों में गोलियों जैसा अहसास भरा करो।’’
सुनकर हंसे दीपक बापू और बोले
खौफ के साये में तुम जी रहे हो,
हालातों के कारण कड़वे घूंट पी रहे हो,
लगता है तुमने ज्यादा कमा लिया है,
कुछ रकम खाते में कुछ माल तिजोरी में जमा लिया है,
हम बेफिक्र हैं क्योंकि राहजनों से
ज्यादा लुटने वाले अभी बहुत लोग हैं,
जिनमें दौलत शौहरत और ओहदे पाने के लगे रोग हैं,
विकास ने अपराधियों को भी बढ़ा
दिया है,
अपने शिकारों में बड़े नामों को भी उन्होंने चढ़ा लिया है,
हमारा मानना है कि मालदार के मुकाबले
लुटेरों की संख्या कम है,
उनकी शिकार सूची मे हमारा क्रम अभी नहीं आयेगा,
जब तक बढ़ेंगे अपराधी तब तक विकास भी बढ़ जायेगा,
मानते हैं कि हादसे के अंदेशे बहुत हैं
जब तक न हो तब तक तुम अपने अंदर
कोई खौफ न भरा करो।
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कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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