आतंक के लिये
कुछ इंसान
बहुत प्रसिद्ध हो जाते हैं।
प्रचार के बाज़ार में
विज्ञापनों के बीच
समाचार प्रसारण के लिये
उनके नाम सिद्ध हो जाते हैं।
कहें दीपक बापू भौतिक युग में
नाम भी बिकता है,
बदनाम भी नायक दिखता है,
कसूरवार मर भी जाये,
ज़माना उसे जिंदा ही पाये,
हजारों के कातिल पर फिदा
विज्ञापन के गिद्ध हो जाते हैं।
-----------------------
कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.हिन्दी पत्रिका
५.दीपकबापू कहिन
६. ईपत्रिका
७.अमृत सन्देश पत्रिका
८.शब्द पत्रिका
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.हिन्दी पत्रिका
५.दीपकबापू कहिन
६. ईपत्रिका
७.अमृत सन्देश पत्रिका
८.शब्द पत्रिका
No comments:
Post a Comment