Oct 30, 2007

भले लोगों का तलाश करें ठौर

सामने कुछ कहैं
पीठ पीछे कुछ और
ऐसे लोगों की बातों पर क्या करें गौर
बात काम करें मचाएँ ज्यादा शोर
बोले और पीछे पछ्ताएं
जैसे नाचने के बाद रोए मोर
जिनके मन में नही सदभाव
उनकी वाणी में होता है कटुता का भाव
अपनी पीठ आप थपथपापाएं
अपने दिल का मैल छिपाएं
क्या पायेंगे ऐसे लोगों को बनाकर सिरमौर
उनकी भीड़ में शामिल होने से बेहतर है
अकेले में समय गुजारें
उनके झुंड में रहने से अच्छा है
भले लोगों का तलाश करें ठौर

2 comments:

शोभा said...

दीपक जी
सच लिखा है आपने । मेरा तो यही मानना है कि जितना हो सके सरल जीवन जिएँ और खुश रहें ।
दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।

आशीष कुमार 'अंशु' said...

बहुत खूब..