पूरा शहर खौफजदा लगता है,
कायर बहशियों ताकतवर समझकर
सभी कांप रहे हैं,
अपनी हस्ती मिट जाने का डर
इस कदर लोगों में समा गया है कि
पेड की डाली के गिरने की
आवाज सुनकर ही हांफ रहे हैं।
हैरानी इस बात की है कि
पहरेदार सज रहे उनके घर
जो हैवानियत के सांप पाले रहे हैं।
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कवि, संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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2 comments:
बहुत अच्छी रचना
बहुत अच्छी रचना
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