पूरा शहर खौफजदा लगता है,
कायर बहशियों ताकतवर समझकर
सभी कांप रहे हैं,
अपनी हस्ती मिट जाने का डर
इस कदर लोगों में समा गया है कि
पेड की डाली के गिरने की
आवाज सुनकर ही हांफ रहे हैं।
हैरानी इस बात की है कि
पहरेदार सज रहे उनके घर
जो हैवानियत के सांप पाले रहे हैं।
-------
कवि, संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
-------------------------
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
समसामयिक लेख तथा अध्यात्म चर्चा के लिए नई पत्रिका -दीपक भारतदीप,ग्वालियर
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
तुम तय करो पहले अपनी जिन्दगी में चाहते क्या हो फिर सोचो किस्से और कैसे चाहते क्या हो उजालों में ही जीना चाहते हो तो पहले चिराग जलाना सीख...
-
--- ज़माने पर सवाल पर सवालसभी उठाते, अपने बारे में कोई पूछे झूठे जवाब जुटाते। ‘दीपकबापू’ झांक रहे सभी दूसरे के घरों में, गैर के दर्द पर अपन...
2 comments:
बहुत अच्छी रचना
बहुत अच्छी रचना
Post a Comment