धर्म के मसले पर हर रोज नयी चर्चा हो जाती
है,
शब्दों की भारी भीड़ अधर्म की पहचान पर
खर्चा हो जाती है।
कहें दीपक बापू विद्वानों के बीच बहस की
जगह जंग होती है
तस्वीरों से शुरु शून्य पर खत्म चर्चा हो
जाती है।
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आओ कोई मुद्दा नहीं है धर्म पर बात कर लें,
बैठे बिठाये अधर्म पर घात कर लें।
मौन रहने में शक्ति है पर देखता कौन है,
अपनी छवि दिखाने के लिये सभी आमादा
शोर के बीच अकेला खड़ा है वह शख्स जो मौन
है।
कहें दीपक बापू किसी ने जप लिये वेद मंत्र,
कोई बना रहा है सर्वशक्तिमान के नाम पर
तंत्र,
रट लेते जिन्होंने शब्द ग्रंथ से
लगा लिया है उन्होंने धर्म का बाज़ार,
भ्रम के धुंऐं के बीच बेच रहे आस्था का
अचार,
सच्चे ज्ञानी का इकलौता एक ही साथ मौन है।
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कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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