पाकिस्तान के एक सैन्य विद्यालय में आतंकवादियों ने 131 बच्चों सहित 141 बच्चों को मार दिया। विश्व की दर्दनाक घटनाओं
में यह एक है और हमारे भारत देश की दृष्टि से यह आज से दस वर्ष पूर्व मुंबई में
घटित हिंसक घटना के बाद दूसरे नंबर की है।
हम पाकिस्तान से ज्यादा आतंकवादी हिंसक घटनायें झेल चुके हैं। यह सभी घटनायें पाकिस्तान से प्रायोजित होती
हैं। भारत ही नहीं पूरा विश्व पाकिस्तान
से निर्यात किये जाने वाले आतंकवाद का दर्द झेल रहा है। हम अगर इस घटना का आंकलन उस तरह की अपराधिक
घटनाओं से करें जिसमें अपराधी बम बनाकर बेचते हैं पर उसे बनाते हुए कभी कभी उनके
घर में ही विस्फोट हो जाता है। इसके
बावजूद वह बम बनाना और बेचना बंद नहीं करते।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह घटना बहुत पीड़ादायक है पर इससे पाकिस्तान की
नीति में सुधार की आशा करना बेकार है क्योंकि वह जिस राह पर चला है उसमें भारत के
प्रति सद्भावना का मार्ग उसके लिये निषिद्ध है।
अनेक लोग इस घटना धर्म से जोड़कर यह
दावा कर रहे हैं कि कोई भी धर्म इस तरह के हमले की प्रेरणा नहीं देता। इस घटना में
धर्म से कोई संबंध नहीं है क्योंकि यहां पाकिस्तानी सेना से नाराज आतंकवादी गुट ने
उसे सबक सिखाने के लिये यह हमला करने का दावा किया है। पाकिस्तान में कोई आतंकवादी घटना धर्म से
संबद्ध नहीं होती वरन् वहां के अंातरिक समुदायों का अनवरत संघर्ष इसका एक बड़ा कारण
होता है। यह संघर्ष जातीय, क्षेत्रीय और भाषाई विवादों से उत्पन्न होता है। पाकिस्तान का हम कागज पर
जो क्षेत्रफल देखते हैं उसमें सिंध, ब्लूचिस्तान और सीमा
प्रांत के साथ पंजाब भी शामिल है पर धरातल पर पंजाबी जाति, भाषा तथा क्षेत्र का सम्राज्य फैला है।
पंजाब को छोड़कर बाकी तीनों प्रांतों के लोेग हर तरह से उपेक्षित हैं जबकि
सत्य यह है कि पंजाबी लोगों ने उनका शोषण कर संपन्नता अर्जित की है।
पाकिस्तान की वास्तविकता केवल लाहौर तथा इस्लामाबाद तक सिमटी है। इसलिये पेशावर या कराची में होने वाली घटनाओं
से वहां किसी प्रकार का भावनात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। पाकिस्तान के सभ्रांत वर्ग में पंजाबियों को
ऊंचा स्थान प्राप्त है। जिस सैन्य
विद्यालय में यह कांड हुआ है वहां आतंकवादियों ने सेन्य अधिकारियों के बच्चों को
छांटकर मारा है। यह बुरी बात है इससे हम
सहमत नहीं है पर इसमें एक संदेह है कि वहां सेना में उच्च पदों पर पंजाबी अधिक हैं
उससे कहीं अन्य जाति या भाषाई गिरोहोें ने बदले की कार्यवाही से तो यह नहीं किया? पाकिस्तान पंजाब के सक्रिय भारत विरोधी आतंकवादियों के विरुद्ध कार्यवाही
नहीं करता। उसे वह मित्र लगते हैं मगर जिस
तरह उसने आतंकवाद को प्रश्रय दिया है वह दूसरे इलाकों में उसके विरुद्ध फैल रहा
है।
भारतीय प्रचार माध्यमों में अनेक विद्वान यह अपेक्षा कर रहे हैं कि
पाकिस्तान इससे सुधर जायेगा तो वह गलती पर हैं। उन्हें यह बात सोचना भी नहीं
चाहिये। यह बात सच है कि पाकिस्तान की
सिंधी, पंजाबी,
ब्लूची तथा पश्तो भाषाी जनता में भारत के प्रति अधिक
विरोध नहीं है पर वहां के उर्दू भाषी शासकों के लिये यही एक आधार है जिसके आधार पर
उन्हें सहधर्मी राष्ट्रों से राज्य संचालन के लिये गुप्त सहायता मिल पाती है। वैसे भी वहां के भारत विरोधी इस घटना में अपनी
भड़ास परंपरागत ढंग से निकाल रहे हैं। दो चार दिन के विलाप के बाद फिर उनका प्रभाव
वहां दिखाई देगा। पेशावर की यह घटना लाहौर और इस्लामाबाद पर अधिक देर तक भावनात्मक
प्रभाव डालकर उसकी रीति नीति में बदलाव की प्रेरणा नहीं बन सकती। इस घटना में मारे गये बच्चों के प्रति सहानुभूति में कहने के लिये शब्द नहीं मिल रहे हैं। किसी भी दृष्टिकोण से हम अपने हृदय को समझा नहीं पा रहे कि आखिर इस दुःख को झेलने वाली माओं का दर्द कैसे लिखा जाये? फिर भी हम उन बच्चों को श्रद्धांजलि देते हुए भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवार को यह दुःख झेलने की शक्ति दे।
कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है।
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