Jun 21, 2015

21 जून योग दिवस की सारी स्मृतियां कल पसीने में बह जायेंगी(21 june yoga divas ki yaaden kal paseene mein bah jayengi)

               योग दिवस ने अनेक लोगों को थका दिया होगा। अनेकों को उबाया भी होगा। जिनके लिये यह दिन उत्सव जैसा था वह जरूर थके होंगे। वह यह सोचकर तसल्ली कर रहे होंगे कि गनीमत है कल योग साधना नहीं करना पड़ेगी। नियमित योग साधक अपने स्थानों से हटकर सार्वजनिक मंचों की तरफ आये होंगे। उनके लिये यह योग पिकनिक की तरह रहा होगा। नियमित योग साधक थकावट की सोच भी नहीं सकते क्योंकि उन्हें अपना अभ्यास कल फिर करना है।
                              इस अवसर पर ढेर सारी चर्चायें, परिचर्चायें और प्रदर्शिनियां लगी।  नियमित योग साधक इनका क्या आनंद उठा पाते? प्रश्न यह है कि जो अनियमित और अवसरवादी हैं क्या वह ऐसे आयोजनों से कुछ सीख पाये? जिस तरह योग साधना का चकाचौंध भरा प्रचार हुआ उससे लगा कि शायद एक दिन तक ही इसका प्रभाव रहना था। हमारे लिये योग दिवस कल विस्मृत विषय होगा। गर्मी और उमस की वजह से योग साधना के दौरान आने वाले पसीने में उसकी सारी स्मृतियां बह जायेंगी
                              योग साधना विषय पर बोलना बहुत सरल है। यही कारण है कि हमारे यहां अनेक लोग इस पर चाहे जो बोलने लगते हैं। हालांकि हमने टीवी चैनलों पर बहस के दौरान दो तीन महिला पुरुष विद्वानों को सुना। वाकई वह इसके नियमित अभ्यासी होंगे इसमें संशय नहीं था क्योंकि वह अधिकार के साथ इस विषय पर बोले। उनके अलावा तो अनेक ऐसे लोग बहस में आये जो पेशेवर प्रशंसक लगे।  उनके बात करने के तरीके से ही लगा कि वह योग साधना नहीं करते।  एक योग साधक के रूप में हम ने योग के लिये वाणी, कर्म और विचार से सकारात्मक रहने वाले विद्वानों की बात का आनंद लिया और बाकी सभी की बात भुला दी।
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कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'

ग्वालियर, मध्य प्रदेश

कवि, लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
poet, writer and editor-Deepak "BharatDeep",Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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