धनस्वामी ने प्रचार प्रबंधक से कहा-‘यार, तुम्हारे प्रसारणों में मजा नहीं आ रहा। खबरों से ज्यादा विज्ञापन का प्रसारण बढ़ाने के कुछ प्रयास करो।’
प्रचार प्रबंधक ने कहा-‘सर, क्या करें आजकल लोग खबरों में कम रुचि ले रहे हैं। इसलिये विज्ञापनदाता भी याचना करने से कम धमकाने की वजह से अधिक काम दे रहे हैं। इस पर आजकल सनसनीखेज खबरें भी सभी चलाने लगे हैं।’
धन स्वामी ने कहा-‘अरे यार, हमने इतने सारे इंसानी बुत खड़े किये हैं। शराब हम बेचेें, जमीने हम हथियायें, फिल्में हम बनायें और क्रिकेट हम चलायेें। टीवी हमारा है ऐसे में तुम इतने बेबस क्यों हो रहे हो। अरे, ऐसा करो प्रतिदिन सभी क्षेत्रों के प्रतिष्ठित बुतों में लड़ाई की पटकथा लिखकर लाओ। मैं अपने निजी सचिव से कहूंगा वह हमारे लोगों में बांटता रहेगा। सुबह सुगबुगहाट, दोपहर द्वंद्व और शाम को शांति का सूत्र कहानी में इस तरह डालों कि सुबह सनसनी, दोपहर में कोहराम तो शाम के मनोरंजन हो जाये।’
प्रचार प्रबंधक का मन प्रसन्न हो गया वह बोला-ठीक है सर, कहीं बाप-बेटे,कहीं चचा-भतीजे, कहीं भाई-भाई तो कहीं समधी-समधिन के पात्र सृजित कर प्रतिदिन ऐसी पटकथा लिखूंगा कि आपके बुत उस पर अभिनय करेंगे तो मजा आ जायेगा। हां, सर आप अपने प्रायोजित बुतों का नाम दे दीजिये।’
प्रबंधक स्वामी ने हंसते हुएकहा-‘कमबख्त, तुम इतने साल से मेरे साथ काम कर रहे हो पर अक्ल नहीं आयी! तुम्हें पता नहीं आकाश में चमकते सारे सितारे तो पता नहीं किसने बनाये पर धरती पर जो विचर रहे हैं वह सब हमारे ही बनाये हुए हैं। जाओ, चाहे जिन पर कहानी लिखो और उसे सीधे भेज दो। तुम्हारे लिये सब हर प्रकार रस बनाकर लायेंगे।’
--------------
नोट-यह काल्पनिक हास्य व्यंग्य है और इसकी विषय सामग्री किसी व्यक्ति के चरित्र से मेल खाती है तो उसके लिये वही जिम्मेदार है। इस समय टीवी पर दो प्रदेशों की खबरें ऐसी चल रही हैं जिसमें एक जगह प्रतिष्ठित अपराधी की जमानत तो दूसरी जगह पारिवारिक विवाद जैसी खबरें प्रसारित हो रही हैं। इस रचना का इनसे जोड़ने की गलती न करें वरना आप ही जिम्मेदार होगे।
-------------
-दीपक ‘भारतदीप’-
No comments:
Post a Comment